“Unlock the Sacred Story: Download PDF of Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi”

हरतालिका तीज | Hartalika Teej Vrat Katha PDF Hindi

Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi"

हरतालिका व्रत पूजन-विधान

Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi” PART-1

सौभाग्यवती स्त्री को चाहिए कि वह प्रातःकाल स्नान आदि नित्य क्रिया से शुद्ध होकर आसन पर पूर्व मुख बैठे, बायें हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से –

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्पावस्थां गतोऽपि वा ।

यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥

यह मन्त्र पढ़कर अपने शरीर पर जल छिड़कें । पुनः दाहिने हाथ में जल लेकर हरितालिका व्रत का मानसिक संकल्प करते हुए उमा- महेश्वर के पूजन का संकल्प कर, जल भूमि पर छोड़ दें। तदनन्तर गणेशजी का विधि पूर्वक पूजन कर हाथ में विल्वपत्र लें, पीतवस्त्र धारण की हुई, सुवर्ण के सदृश कान्तिवाली, कमल के आसन पर बैठी हुई, भक्तों को अभीष्ट वर देने वाली पार्वती का मैं नित्य चिन्तन करती हूँ । इसी प्रकार मदार की माला केश में धारण की हुई, दिव्य वस्त्र से विभूषित ऐसी पार्वती तथा मुण्डमाला धारण किये हुए दिगम्बर, ऐसे शिव का चिन्तन करती हुई उमा-महेश्वर की मूर्ति पर विल्वपत्र चढ़ावें ।

तत्पश्चात् हाथ में अक्षत लेकर, उमा-महेश्वर का आवाहन पूर्वक आसन प्रदान कर पाद्य, अर्घ्य, आचमन, पञ्चामृत स्नान, शुद्धोदक स्नान कराकर वस्त्र, यज्ञोपवीत, पार्वती को कंचुकी धारण करावें । पुनः गंध, अक्षत, सौभाग्य द्रव्य, सुगन्धित पुष्प चढ़ाकर हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर पार्वती के प्रत्येक अंग पर चढ़ावे । उसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सोपारी, दक्षिणा चढ़ाकर कपूर की आरती तथा हाथ फूल लेकर पुष्पांजलि उमा-महेश्वर के चरणों में समर्पित करें। पश्चात उमा-महेश्वर की मूर्ति की हाथ से प्रदक्षिणा कर नमस्कारपूर्वक, हे देवि! आप मुझे पुत्र, धन, सौभाग्य तथा मेरे सभी मनोरथों को पूर्ण

करें। इस प्रकार कहकर उमा-महेश्वर से प्रार्थना करे । तदनन्तर हाथ में

जल लेकर

‘अन्नं सुवर्णपात्रस्थं स वस्त्र- फल- दक्षिणाम् ।
वायनं गौरि ! विप्राय ददामि तव प्रीतये ॥ १ ॥
सौभाग्या-ऽऽरोग्य-कामाय सर्वसम्पत्समृद्धये ।
गौरी- गिरीश – तुष्ट्यर्थ वायनं च ददाम्यहम् ॥ २ ॥

इन श्लोकों को पढ़ संकल्पपूर्वक सौभाग्यवायन ( सोहाग – पिटारी ) ब्राह्मण को दे । उसके बाद हरितालिका व्रत की कथा ब्राह्मण द्वारा अथवा अन्य किसी के द्वारा श्रवण करे। या स्वयं पढ़े ।

Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi” PART-2

सूतजी ने कहा है शौनकादि महर्षिगण ! मदार के फूलों से ये हुए केशवाली दिव्य वस्त्रों से विभूषित पार्वती जी को तथा मुण्डमाला में सुशोभित शिवजी को, जो दिगम्बर ( वस्त्र – विहीन) रहते हैं, ऐसे शिवजी को मैं बार-बार प्रणाम करता हूँ । I

कैलास पर्वत के रम्य शिखर पर विराजमान शिवजी से पार्वती जी ने पूछा कि, हे महेश्वर! आप आज मुझे कोई गुप्त से गुप्ततर रहस्य की बात बताने की कृपा करें। वह ऐसी बात हो जो सभी धर्मों का सार, अल्प परिश्रम से ही करने योग्य तथा अत्यन्त फल – दायिनी कथा का जिसमें समावेश हो । यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो उसे बताने की कृपा करें । हे प्रभो! मैंने पूर्व जन्म में ऐसा कौन सा तप, दान या व्रत किया था, जिसके फलस्वरूप आप जैसे त्रैलोक्य के अधीश्वर, अनादि और अनन्त रूप वाले पति मुझे प्राप्त हुए ।

शिवजी ने कहा-हे देवी! अब मैं सबसे सटीक व्रत का वर्णन करता हूं, क्योंकि तुम मेरी प्रेयसी हो। असल में मैं इस गुप्त व्रत को बतलाता हूं। प्रकार ताराओं में चन्द्रमा, सूर्य में सूर्य, चारों वर्णों में (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) में ब्राह्मण, देवताओं में विष्णु, नदियों में गंगा, पुराणों में महाभारत, वेदों में (ऋक्, यजुः, साम और अथर्व) में सामवेद और इन्द्रियों में मन श्रेष्ठ है, उसी प्रकार पुराणों एवं वेदों का सर्वस्य – वही प्राचीन व्रत का मैं चिंतन करता हूं, तुम उसे स्थिर चित्त से सुनो।

पूर्वकाल में जिस व्रत को रखा गया था, उसी के प्रभाव से मेरी पत्नी का स्थान प्राप्त हुआ। प्रार्थना होने के कारण ही मैं इस व्रत को प्रकट करता हूँ। भाद्रमास के शुक्ल पक्ष, हस्त नक्षत्रों से युक्त तृतीया तिथि के दिन इस व्रत का अनुष्ठान करने से त्रिविध तप (दैहिक, दैविक, भौतिक) एवं पाप से स्त्रियाँ मुक्त हो जाती हैं। हे देवी ! पूर्वकाल में इस महाव्रत को माउंट हिमालय पर्वत पर रखा गया था, उन सभी पूर्व वृत्तांतों का मैं स्पष्ट वर्णन करता हूँ।

Raksha Bandhan kab Hai 2023: | Raksha Bandhan muhurat 2023

hartalika teej vrat 2023, Hartalika Teej fast story, Haritalika Teej Vrat Katha, When is Hartalika Teej fast?, hartalika teej vrat, Hartalika Teej Vrat 2023, hartalika teej fast story, hartalika teej vrat 2023 date, When is Hartalika Teej fast 2023, when is hartalika teej vrat in 2023, hartalika teej vidhi in hindi,

Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi” PART-3

पार्वती ने कहा- हे नाथ! मैंने इस उत्तम व्रत को किस प्रकार किया था, उन सभी वृत्तान्त को मैं आपके मुख कमल से श्रवण करना चाहती हूँ | तब शिवजी बोले- पर्वतों में श्रेष्ठ हिमालय नामक एक पर्वत है, जो अनेक प्रकार की भूमि तथा विविध वृक्षों से परिव्याप्त है। उस पर्वत पर अनेक प्रकार के पक्षी, मृग, देवगण, गन्धर्व सिद्ध, चारण और गुह्यक प्रमुदित मन से विचरण करते हैं, एवं गन्धर्वगण निरन्तर गान किया करते हैं ।

उस पर्वत की चोटी स्फटिक (बिल्लौर नामक एक विशेष मणि), स्वर्ण, मणि और मूँगों से सुशोभित हैं। यह पर्वत आकाश के समान ऊँचा है, उसकी चोटियाँ सदैव बरफ से ढँकी रहती हैं तथा गंगा का निरन्तर निनाद होता रहता है । हे पार्वती ! तुमने अपने बाल्यावस्था में जिस प्रकार की कठोर तपस्या की थी, मैं उसका वर्णन करता हूँ। हे देवि! तुमने बारह वर्षों तक आँधी (नीचे को मुख और ऊपर को पैर) रहकर धूम्रपान के द्वारा बिताया था।

तुमने माघ के महीने में कण्ठ तक जल में निवास कर, वैशाख मास के प्रखर घाम में पञ्चाग्नि सेवन कर, श्रावण मास में घर से बाहर वर्षा में भीगकर मेरी तपस्या निराहार रहकर की। तुम्हारे इस उग्र तप को देखकर तुम्हारे पिता हिमवान् बहुत ही दुःखित एवं चिन्तित हुए। वे तुम्हारे विवाह के विषय में चिन्तातुर हो गये कि ऐसी तपस्विनी कन्या के लिए वर कहाँ से उपलब्ध हो सकेगा?

ऐसे ही समय में ब्रह्मपुत्र नारदजी आकाशमार्ग से तुम्हारे पिता के पास आये । तुम्हारे पिता ने उन मुनि श्रेष्ठ की अर्घ्य, पाद्य, आसन आदि देकर पूजा हिमवान् ने कहा- हे मुनिप्रवर! आप अपने आने का कारण बतलाइए, क्योंकि परम सौभाग्य से ही आप जैसे महानुभावों का आगमन होता है । उत्तर में नारद मुनि ने कहा- हे पर्वतराजा! आप मेरे आने का कारण जानना चाहते हैं, तो सुनिए- मुझे भगवान् विष्णु ने आपके पास संदेशवाहक के रूप में भेजा है और कहा है कि अपने इस कन्यारत्न को किसी योग्य पुरुष के ही हाथ में अर्पित करें।

सम्पूर्ण देवों में वासुदेव से बढ़कर अन्य कोई देव नहीं है इसलिए मेरी भी यही राय है कि आप अपनी कन्या भगवान् विष्णु को सौंप कर जगत् में यशस्वी बनें। नारद जी की बात सुनकर हिमालय ने कहा- यदि भगवान् विष्णु ने इस कन्या को ग्रहण करने की स्वयं इच्छा की है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि आपकी सम्मति है, इसलिए अब आज से इस सम्बन्ध को निश्चित ही समझिए ।

हिमवान् द्वारा इस प्रकार का निश्चात्मक उत्तर पाकर नारदजी उस स्थान से अन्तर्ध्यान होकर शंख, चक्र, गदा एवं पद्मधारी विष्णु के पास उपस्थित हुए। उन्होंने हाथ जोड़कर प्रणाम करते हुए विष्णु भगवान से कहा- हे देव! मैंने आपका विवाह सम्बन्ध पर्वत – राज हिमवान् की पुत्री से निश्चित कर दिया। उधर हिमवान् ने प्रसन्न F.I होकर तुमसे कहा कि, हे पुत्री ! मैंने तुम्हारा विवाह भगवान् विष्णु के साथ पक्का कर दिया है। पिता द्वारा विपरीतार्थक वाक्य सुनकर तुम अपनी सखी के घर चली गयी और वहीं भूमि पर लुण्ठित होकर अत्यन्त विलाप करने लगी ।

100+Raksha Bandhan Quotes | Latest 2023 Happy Rakhi Quotes for Brother in Hindi | Rakhi Quotes for Brother in Hindi

Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi” PART-4

 

तुम्हें रुदन करते देखकर तुम्हारी सहेलियों ने तुमसे पूछा कि, हे देवि! तुम अपने दुःख का कारण मुझे बताओ, हम सभी निःसन्देह आपका कार्य पूरा करेंगी। सखियों द्वारा आश्वासन पाकर तुमने उत्तर दिया – हे सखी! आप सभी सुनिए, मेरी इच्छा महादेवजी के साथ विवाह करने की है । परन्तु मेरे पिता ने मेरी इच्छा के विरुद्ध कार्य किया है अर्थात् उन्होंने विष्णु भगवान के साथ विवाह करने का नारदजी को वचन दे दिया है । इसलिए सखियों ! अब मैं अपने इस शरीर का निश्चित रूप से परित्याग

तब तुम्हारी बात सुनकर सखियों ने कहा- तुम घबराओ नहीं, हम और तुम दोनों ही किसी ऐसे घनघोर वन में निकल चलें, जहाँ पर तुम्हारे पिता न पहुँच सकें। इस प्रकार की गुप्त मन्त्रणा करके तुम अपनी सखियों के साथ निर्जन वन में पलायन कर गयी । तदनन्तर तुम्हारे पिता हिमवान् ने पास पड़ोस के प्रत्येक घरों में तुम्हारी खोज की, किन्तु तुम्हारा कहीं भी पता न लगा। तुम्हारे पिता ने तुम्हें न पाकर मन में सन्देह किया कि कहीं किसी देव, दानव, किन्नर आदि ने मेरी पुत्री का अपहरण तो नहीं कर लिया ।

वे इस सोच में भी पड़ गये कि मैं अब नारद जी को क्या जवाब दूँगा, क्योंकि मैंने उनसे विष्णु के लिए पुत्री के विवाह का वचन दिया था। अब मैं उपहास का पात्र बनूँगा । ऐसा सोचते-सोचते वे घबराकर मूर्च्छित हो गये । उनके संज्ञाशून्य होते ही सभी लोग उनके समीप एकत्रित होकर उनसे पूछने लगे कि, हे पर्वतराज ! आप अपनी मूर्च्छितावस्था का कारण मुझे बतावें ।

उस स्थान पर एक नदी प्रवाहित हो रही थी, वहाँ एक गुफा (कन्दरा) भी थी । तुमने उसी गुफा में जाकर आश्रय लिया और निराहार रहकर मेरा बालुकामयी मूर्ति ( शिव-पार्वती सहित ) का स्थापन किया। जब भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया हस्त- नक्षत्र से युक्त आयी तब तुमने उस दिन रात्रि में जागरण कर गीत – वाद्यादि के साथ मेरा भक्तिपूर्वक पूजन किया । हे प्रिये ! तुम्हारे द्वारा की गयी उस कठिन तपस्या एवं व्रत के प्रभाव से मेरा सिंहासन चलायमान हो उठा और जहाँ तुम सखियों के साथ थी, उस स्थान पर मैं जा पहुँचा

मैंने तुमसे कहा कि, हे वरानने! मैं तुमसे अत्यन्त प्रसन्न हूँ, तुम मुझसे अपना इच्छित वर प्राप्त कर लो । तब उत्तर में यदि तुमने कहा कि, हे देव! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो आप मुझे पतिरूप में प्राप्त हों। मैं ‘तथास्तु’ (ऐसा ही हो) कहकर पुनः अपने कैलास पर्वत पर आ गया। मेरे चले आने के बाद तुमने प्रातः काल नदी में स्नान कर मेरी स्थापित मूर्ति का विसर्जन किया । इतना करने के बाद तुमने अपनी सखियों के साथ पारण किया ।

hartalika teej vrat 2023, Hartalika Teej fast story, Haritalika Teej Vrat Katha, When is Hartalika Teej fast?, hartalika teej vrat, Hartalika Teej Vrat 2023, hartalika teej fast story, hartalika teej vrat 2023 date, When is Hartalika Teej fast 2023, when is hartalika teej vrat in 2023, hartalika teej vidhi in hindi,

Free Raksha Bandhan wishes for brothers and Sisters. | Raksha Bandhan quotes.

Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi” PART-5

उसी समय तुम्हारे पिता हिमालय भी तुम्हें खोजते हुए उसी जंगल में आ पहुँचे । किन्तु वन की गहनता के कारण चारों ओर ढूँढने पर भी तुम्हारा कुछ भी पता उन्हें न लगा । अब तो वे निराश होकर भूमि पर गिर पड़े। पुनः उठने के बाद हिमालय ने दो कन्याओं को सुप्तावस्था में देखा। उन्होंने निकट आकर तुम्हें गोद में उठा लिया और रुदन करने लगे। रोते-रोते ही उन्होंने तुमसे पूछा कि, तुम इस घनघोर जंगल में किस प्रकार आ पहुँची ?

घर पहुंचने पर मेरे साथ तुम्हारा पाणि-ग्रहण हुआ । उसी व्रत के प्रभाव से तुमने अचल सौभाग्य प्राप्त कर लिया। मैंने आज तक इस व्रत का कथन किसी से नहीं किया है । हे देवि! तुम अपनी सखियों के द्वारा अपन (हरण) की गयी इसी से इस व्रत का नाम ‘हरितालिका’ पड़ा ।

🙏व्रत विधान एवं माहात्म्य🙏

पार्वतीजी ने कहा- हे प्रभो! आपने इस व्रत के नाम का निरूपण तो कर दिया, अब इसके विधान तथा माहात्म्य का वर्णन भी कीजिए । इस व्रत को करने से क्या फल होता है तथा इस व्रत को पहले किसने किया था, यह भी बतलाने की कृपा करे ?

शिवजी ने कहा- हे देवि ! अब मैं तुमसे इस व्रत का विधान बतलाता हूँ । सौभाग्य की कामना करने वाली सभी नारियों के लिए यह व्रत करने योग्य है. क्योंकि यह व्रत स्त्रियों का सौभाग्यदायक । सर्वप्रथम केला के खम्भों से एक मंडप का निर्माण करें ।

तदनन्तर उस मण्डप को विविध वर्णों के वस्त्रों से आच्छादित कर उसमें सुगन्धित चन्दन का लेपन करें। फिर उसमें पार्वती सहित मेरी बालू की मूर्ति बनाकर स्थापित करें और शंख, भेरी मृदंग आदि बाजों को बजाकर, विविध प्रकार के सुगन्धित पुष्पों एवं नैवेद्य आदि चढ़ाकर मेरी करें। पूजन के बाद उस दिन रात्रि में जागरण करें। ऋतु के सुपारी, जामुन, मुसम्मी, नारंगी आदि का भोग अर्पित करें।

पूजा अनुसार नारियल, तत्पश्चात् मुख वाले, शान्तिस्वरूप एवं त्रिशूलधारी शिव को मेरा नमस्कार है ऐसा कहकर नमन करें । नन्दी, भृंगी, महाकाल आदि गणों से युक्त शिव को मेरा नमस्कार है तथा सृष्टिस्वरूपिणी प्रकृतिरूप शिव की कान्ता (पार्वती) को मेरा नमस्कार है । है हे सर्वमंगल- प्रदायिनी, जगन्मय शिवरूप कल्याणदायिके ! शिवरूपे शिवे ! शिवस्वरूपा तेरे तथा शिवा के निमित्त एंव ब्रह्मचारिणी स्वरूप जगद्धात्री के लिए मेरा बार-बार प्रणाम है। हे सिहंवाहिनी ! आप भव-ताप से मेरा त्राण करें । हे माहेश्वरि! आप मेरी सम्पूर्ण इच्छाएँ पूर्ण करें ।

हे मातेश्वरि ! मुझे राज्य, सौभाग्य सम्पत्ति प्रदान करें- इस प्रकार कहकर मेरे साथ तुम्हारी पूजा स्त्रियों को करनी चाहिए । विधिवत् कथा श्रवण करने के पश्चात सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र एवं धन प्रदान करें। तदनन्तर भूयसी दक्षिणा देकर सम्भव हो तो स्त्रियों को आभूषण आदि भी देवें । इस सौभाग्यवर्धिनी पुनीत कथा को अपने पति के साथ श्रवण करने से नारियों को महान् फल की उपलब्धि होती है ।

अनुष्ठान की समाप्ति पर नारियों को चाहिए कि वे चांदी, सोने, ताँबे अथवा इन सभी के अभाव में बाँस की डलिया में वस्त्र, फल पकवान आदि रखकर दक्षिणा के साथ ब्राह्मण को दान करे । अन्त में, दूसरे दिन व्रत का पारण करें।

जो नारियाँ इस विधि से व्रत का अनुष्ठान करती हैं, वे तुम्हारे समान अनुकूल पति को प्राप्त कर इस लोक में सभी सुखों का उपभोग करती हुई अन्त में सायुज्य मुक्ति प्राप्त करती हैं। इस कथा के श्रवण कर लेने से ही स्त्रियाँ हजारों अश्वमेघ यज्ञ एवं सैकड़ों वाजपेय यज्ञ के करने का फल प्राप्त करती हैं । हे देवि ! मैंने तुमसे इस सर्वोत्तम व्रत का कथन किया, जिसके करने से करोड़ों यज्ञ का फल सहज ही प्राप्त होता है, अतः इस व्रत के फल का वर्णन सर्वथा अकथनीय है ।

इस प्रकार हरितालिका व्रत कथा समाप्त

Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi” PART-6

 Teej, 2023

हे देवि ! इस विधि से जो स्त्रियाँ इस व्रत को करती हैं, उन्हें सात जन्मों तक राज्य – सुख एवं सौभाग्य प्राप्त होता है । व्रत के दिन जो नारी अन्न का आहार ग्रहण करती है वह सात जन्म तक सन्तानहीनता एवं विधवा होती है। जो स्त्री उपवास नहीं करती वह दरिद्री, पुत्र-शोक से दुःखी एवं कर्कशा (झगड़ालू) होती है तथा नरक – वास करके दुःख भोगती है । जो नारी इस व्रत के दिन भोजन करती है उसे शूकरी, दुग्धपान से सर्पिणी, जल का पान करने से जोंक अथवा मछली, मिष्ठान भक्षण से चींटी आदि योनियों में जन्म लेना पड़ता है।

पिता की बात सुनकर तुमने उनसे कहा कि हे तात! मैं अपना विवाह शिवजी के साथ करना चाहती थी, परन्तु मेरी इच्छा के प्रतिकूल आपने विष्णु भगवान से मेरा वैवाहिक सम्बन्ध स्थिर कर लिया। इसी कारण रुष्ट होकर मैं अपनी सखियों के साथ गृह का परित्याग कर इस भीषण वन में चली आयी । हे तात! यदि आप मुझे घर ले जाना चाहते हैं तो मुझे महादेव जी से विवाह करने की आज्ञा दीजिए। मेरा ऐसा ही दृढ़ निश्चय है । तुम्हारे इस दृढ़ संकल्प को जानकार तुम्हारे पिता ने ‘तथास्तु’ (ठीक है) कहा और वे तुम्हें अपने साथ घर वापस ले गये ।

हरितालिका-व्रतोद्यापन विधि🙏

इस व्रत के उद्यापन करने वाली स्त्री को स्नान आदि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर नया वस्त्र धारण करना चाहिए । फिर पूर्व की ओर मुँह करके आसन ग्रहण करें । दाहिने हाथ की अनामिका अंगुलि में पैंती (पवित्री ) पहनकर ब्राह्मणों द्वारा स्वस्ति वाचन करायें । तत्पश्चात गणपति एवं कलश का पूजन करे। एक कलश पर चाँदी की शिव की तथा दूसरे कलश पर सुवर्ण की गौरी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद ब्राह्मण को दक्षिणा आदि देकर उनसे आशीर्वाद ग्रहण करें ।

दूसरे दिन प्रातः काल वेदी में अग्नि स्थापित कर एक सौ आठ बार आहुति देवें। हवन की सामग्री में काला तिल, यव और घृत सम्मिलित होना चाहिए। हवन के अन्त में, नारियल में घी भरकर उसे लाल कपड़े से लपेटकर अग्निमें हवन कर दें।

पूर्णाहुति के पश्चात सोलह सौभाग्य पिटारी (बाँस की बनी हुई डलिया) में पकवान भर कर दक्षिणा के साथ सोलह ब्राह्मणों को दान करें। यदि सम्भव हो तो सभी ब्राह्मणों को एक-एक वस्त्र भी प्रदान करें। गाय दे सकें तो ब्राह्मण को गोदान भी करें । तदनन्तर सोलहों ब्राह्मणों को भोजन कराकर, उन्हें ताम्बूल और दक्षिणा देकर, उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें ।

इसके बाद हाथ में अक्षत लेकर सभी स्थापित देवों पर अक्षत छिड़कते हुए उनका विसर्जन करें। इन सभी कृत्यों के कर लेने के बाद ही स्वयं अपने बन्धु-बान्धवों के साथ भोजन करना चाहिए।

॥ इति उद्यापन विधि सहित हरितालिका व्रत कथा समाप्त ॥

“Unlocking the Mysteries of Raksha Bandhan: Dates, Rakhi Pournami, Ties to Lord Krishna, and Irresistible Rakhi Gift Ideas Revealed more…

Hartalika Teej Vrat Katha in Hindi” PART-7

श्री शिव आरती

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव … ॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव… ॥ अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे । त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव… ॥

ॐ जय शिव … ॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥

ॐ जय शिव … ॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥

ॐ जय शिव… ॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥

ॐ जय शिव … ॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥

ॐ जय शिव… ॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥

ॐ जय शिव … ॥

🙏आरती पार्वती देवी की🙏

जय पार्वती माता जय पार्वती माता ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता ।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता। अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता । जय पार्वती माता जय पार्वती माता ।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता ।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता ।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता। सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता जय पार्वती माता जय पार्वती माता ।

देवन अरज करत हम चित को लाता गावत दे दे ताली मन में रंगराता । जय पार्वती माता जय पार्वती माता । श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता सदा सुखी रहता सुख संपति पाता। जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता ।

DownLoad Here

Follow | Like | Share.

Instagram

Leave a Comment

%d bloggers like this: